tirupati balaji mandir तिरुमला में असामान्य जल संकट, तीर्थयात्रियों को पानी बरबाद नहीं करने की सलाह

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तिरुमला: शेषचलम पर्वतमाला की सात पहाड़ियों के बीच स्थित भगवान श्री वेंकटेश्वर का निवास तिरुमला मंदिर (tirupati balaji mandir) संभावित जल संकट (water crisis in tirumala) का सामना कर रहा है और मंदिर के अधिकारी प्रतिदिन मंदिर आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों से पानी का किफ़ायती तरीके से उपयोग करने और किसी भी तरह की बरबादी से बचने की अपील कर रहे हैं। प्रतिदिन औसतन, लगभग 60,000 से एक लाख भक्त मंदिर आते हैं जबकि त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में यह संख्या बढ़ जाती है।

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने बुधवार को तिरुमला के पाँच प्रमुख बाँधों में उपलब्ध पानी का आकलन किया, ताकि यह देखा जा सके कि वे स्थानीय लोगों और पर्वत नगरी में तीर्थयात्रियों की पानी की ज़रूरतों को पूरा कर पाएंगे या नहीं। मूल्यांकन में निष्कर्ष निकाला गया कि वर्तमान में उपलब्ध पानी अब तक हुई अल्प वर्षा के कारण अगले 120-130 दिनों की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होगा।

तिरुमला में प्रतिदिन लगभग 43 लाख गैलन पानी की खपत होती है, जिसमें से 18 एलजी तिरुमला बांधों से और शेष तिरुपति में स्थित कल्याणी बांध से प्राप्त किया जाता है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने कहा कि तिरुमला में गोगरभाम, आकाश गंगा, पाप विनाशनम, कुमारधारा और पशुपुधारा बांधों की कुल भंडारण क्षमता 14,304 गैलन है, जिसमें से वर्तमान में तिरुमला में केवल 5800 गैलन ही उपलब्ध हैं।

टीटीडी ने भक्तों और स्थानीय लोगों से 4 से 12 अक्टूबर तक होने वाले आगामी वार्षिक ब्रह्मोत्सव के दौरान पानी बचाने का आग्रह किया है और असामान्य स्थिति जारी रहने पर पानी की खपत को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं।

टीटीडी ने श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों से पानी का उपयोग किफ़ायती तरीके से करने की अपील की है, ताकि पानी की अनावश्यक बर्बादी (water wastage) न हो। टीटीडी बोर्ड दुनिया के सबसे अमीर हिंदू पहाड़ी मंदिर, तिरुमला का प्रबंधन करता है।

वार्षिक ब्रह्मोत्‍वस के कारण चिंता बढ़ी

तिरुमला में, हर दिन एक उत्सव होता है, और टीटीडी सालाना लगभग 450 त्यौहार मनाता है। विभिन्न त्यौहारों में, सबसे महत्वपूर्ण नवाह्निका सलाकटला ब्रह्मोत्सवम है, जो सिर्फ़ डेढ़ महीने दूर है। तिरुमला ने इस नौ दिवसीय धार्मिक उत्सव को 4 से 12 अक्टूबर तक निर्धारित किया है, जिसमें 3 अक्टूबर को अंकुरार्पणम होगा। इस दौरान हर दिन सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच और शाम को 7 बजे से 9 बजे के बीच वाहन सेवा होगी (4 अक्टूबर को छोड़कर)। टीटीडी के लिए चिंता का विषय यही है कि इस दौरान श्रद्धालुओं की संख्‍या में कई गुणा वृद्धि हो जाएगी और उसी के अनुपात में पानी की खपत भी बढ़ेगी।