तिरुमाला: तिरुमला में बुधवार शाम को उत्लोत्सव (Utlotsavam) का आयोजन किया गया। यह त्यौहार परंपरागत रूप से हर साल तिरुमला में “कृष्ण जन्माष्टमी” के अगले दिन मनाया जाता है। स्थानीय युवा बड़ी संख्या में इस मस्ती भरे धार्मिक आयोजन में भाग लेते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्साह के साथ शामिल होते हैं। उत्लोत्सव आध्यात्मिकता और खेल के उत्साह से भरपूर रहा।
इस कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमलयप्पा स्वामी और श्रीकृष्णस्वामी के देवताओं की दो अलग-अलग स्वर्णिम ‘तिरुचियों’ पर भव्य जुलूस के साथ की गई, जो श्री बेदी अंजनेयुलु स्वामी मंदिर से सटे पेड्डा जियानगर मठ से शुरू होकर पवित्र मंदिर को घेरने वाली चार माडा वीथिका के चारों ओर ले जाया गया।
सैकड़ों उत्साही युवा जो अपनी खुशी में आपस में समूह बनाकर चिपचिपे और अन्य तैलीय पदार्थों से सने लकड़ी के लंबे खंभे के ऊपर बंधे पुरस्कार राशि पाने के लिए दूसरों के साथ होड़ कर रहे थे। यह देखना एक दिलचस्प रहा कि युवाओं ने जमीन से लगभग 25 फीट की ऊंचाई पर बंधे बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पर्वत बनाए।
इसी तरह का आयोजन कर्नाटक चौलट्री में भी हुआ। तीर्थयात्री बड़ी संख्या में उन सभी स्थानों पर एकत्रित हुए जहाँ तिरुमला में उत्लोत्सव मनाया गया था। त्यौहार के बाद टीटीडी ने दोपहर की सभी अर्जिता सेवाओं को रद्द कर दिया।
तिरुमला के वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों ही धर्मगुरु, टीटीडी ईओ श्री जे श्यामला राव, अतिरिक्त ईओ श्री सीएच वेंकैया चौधरी, सीवीएसओ श्री श्रीधर, उप ईओ श्री भास्कर, पेशकार श्री श्रीहरि और अन्य अधिकारी, भक्त भी मौजूद थे।